रमज़ान में सदका ए फितर की बात डा इफ्तिखार के साथ!

सम्भल मेें आज दिनाँक 25 मार्च को शहर के मशहूर डॉक्टर इफ्तिखार अहमद ने अपनी तकरीर मेें बताया कि रमज़ान के पवित्र महीने में मुस्लिम बंधु जमकर इलाही को राजी करने में जुटे हुए हैं। रमजान का तीसरा अशरा चल रहा है। यानी अब केवल 5 दिन के रोजे और बाकी है। इसके बाद ईद का चांद भारत में 30 या 31 मार्च को नजर आ सकता है। लेकिन क्या आप जानते हैं कि ईद की नमाज से पहले हर मुस्लिम को एक काम करना जरूरी होता है। वरना उसकी ईद की नमाज कुबूल नहीं होती है। सदका ए फितर अदा करने के बाद ही आप ईद की नमाज पढ़ सकते हैं। जकात केवल मालदार के लिए हैं, लेकिन फितरा हर मुसलमान के लिए अदा करना वाजिब है। तो चलिए रमजान के महीने में फितरा कैसे अदा करें और किसे दे इस बारे में जान लेते हैं।
सदका ए फितर वाजिब है, हर साहिबे निसाब मुसलमान पर मर्द हो या औरत छोटा हो या बड़ा आजाद हो या गुलाम,सदका ए फितर फकीरों और मोहताजों को देना अफजल है! यह ईद की नमाज से पहले पहले अदा करना जरूरी हैا इसका मकसद कमजोर और गरीब मुफलिस और नादर लोगों को अपनी खुशियों में शामिल करना है! इसकी मीकदार कुछ इस तरह है! गेहूं या जो पौने दो सेर, किशमिश खजूर या छुआरा सवा तीन सेर, पनीर साढे तीन सेर, फितरा अपनी हैसियत के हिसाब से दें! आवाम के लिए सबसे कम रकम फितरे की ₹70 ओलामा ने तय की है! जो गेहूं की कीमत है! जबकि जो की कीमत 140 रुपए किशमिश खजूर या छूआरे की कीमत 840 रुपए और पनीर की कीमत 1050 रुपए रखी गई है! यह एहतियात के तौर पर बताई गई है! मजिद मालूमात किसी मुफ्ती या आलीम से की जा सकती है! इन अशिया का रेट मंडी के भाव से कम या ज्यादा हो सकता है! इसलिए जिस दिन सदका ए फितर अदा करें उसी दिन के भाव से हिसाब लगाए! अल्लाह हम सब के रोजों को नमाजों को कुबूल फरमाए! अपने सदका ए फितर को जल्द अदा करें। जिससे दूसरों के घर भी ईद की खुशीया पहुंच सके। अपनी दुआओं में फिलीस्तीन के मजलूमो को ना भूले याद रहे ईद कपड़ों का नहीं अपनों का त्यौहार है। अपनी जकात देते वक्त अपने पड़ोसियों का रिश्तेदारों का और गरीब मुसलमानो का खास ख्याल रखें। आओ हम सब मिलकर गरीबों को अपनी खुशियों में शामिल करें।
(सम्भल से लल्ला सलमानी की रिपोर्ट)
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